वैसे तो क्रिकेट ज्यादा देशों में नहीं खेला जाता मगर जहां भी खेला जाता है वहां एक बड़े तबके में इस खेल को लेकर उत्साह रहता है। ऐसे में कई बच्चे क्रिकेट को अपना करियर चुनकर उस में अच्छा प्रदर्शन करने की होड़ में लग जाते हैं। स्कूल लेवल, डिस्ट्रिक्ट लेवल और फिर स्टेट लेवल में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद कुछ खिलाड़ियों को अपने देश के लिए खेलने का अवसर मिलता है मगर जरूरी नहीं कि यह अवसर सभी को मिले। आज हम जानेंगे ऐसे ही पांच खिलाड़ियों के बारे में जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया मगर कभी अपने देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रिप्रेजेंट नहीं कर पाए।
5) ग्लेन चैपल (इंग्लैंड)
इंग्लैंड की काउंटी क्रिकेट में ग्लेन चैपल लैंकशायर के तरफ से खेलने वाले शायद सबसे बेहतरीन खिलाड़ी थे। चैपल ने अपने काउंटी करियर में बल्लेबाजी करते हुए 8725 रन बनाए वहीं गेंदबाजी में 925 विकेट भी झटके। इतनी अच्छी ऑल राउंड परफॉर्मेंस देने के बाद भी चैपल को कभी इंग्लैंड के लिए खेलने का मौका नहीं मिला।
4) अमोल मजूमदार (भारत)
भारत की घरेलू क्रिकेट में शायद सबसे बेहतरीन बल्लेबाज रह चुके अमोल मजूमदार का हुनर छोटी उम्र से ही सबके सामने आ गया था। मजूमदार ने घरेलू क्रिकेट के डेब्यू मैच में ही नाबाद 260 रनों की पारी खेली थी जिसके बाद उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था। मगर उनके जैसे ही बल्लेबाज़ी करने वाले राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली की वजह से मजूमदार को कभी भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। 2014 में जब मजूमदार ने रिटायरमेंट की घोषणा की तब तक उनके नाम 171 रणजी मैचों में 11167 रन हो चुके थे।
3) माइकल क्लिंगर (ऑस्ट्रेलिया)
ऑस्ट्रेलिया की घरेलू क्रिकेट में 182 मैचों में 11320 रन बनाने के बाद भी माइकल क्लिंगर को कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला। कई लोग उनके आंकड़ों को देखकर सोच में पड़ जाते हैं कि क्यों उन्हें कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नहीं लिया गया। शायद उसका कारण यह हो सकता है कि उनका सबसे बेहतरीन फॉर्म उस वक्त था जब ऑस्ट्रेलिया की टीम विश्व क्रिकेट में राज करती थी। आखिरकार 2017 में माइकल क्लिंगर ने संन्यास की घोषणा कर दी।
2) क्लाइव राइस (दक्षिण अफ्रीका)
क्लाइव राइस को दक्षिण अफ्रीका के कुछ बदकिस्मत खिलाड़ियों में गिना जा सकता है। क्लाइव उस समय अपने सबसे बेहतरीन फॉर्म में थे जब साउथ अफ्रीका पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का प्रतिबंध लगा हुआ था। अंत में उन्होंने इंग्लैंड की काउंटी टीम नॉटिंघमशायर की तरफ से खेलने का मन बनाया और अपनी टीम को साल 1981 में 52 वर्षों बाद काउंटी चैंपियनशिप भी जिताई।
1) डेरेन स्टीवंस (इंग्लैंड)
डेरेन स्टीवंस ने घरेलू क्रिकेट में 35 की औसत से रन बनाया था और 10 से कम की औसत से विकेट भी चटकाए थे, जिसकी वजह से उन्हें 80 के दशक में एक बेहतरीन ऑलराउंडर के तौर पर देखा जाता था। मगर स्टीवंस ने अपने करियर की अधिकतर विकेट 30 की उम्र के बाद लिए थे और तब तक इंग्लैंड दूसरी युवा खिलाड़ियों की ओर देखने लगी थी। इसी स्टीवंस की बुरी किस्मत ही कह सकते।