अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धूम मचाने वाले तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की निजी जिंदगी संघर्षों से भरी हुई है. बुमराह अपने परिवार के साथ अहमदाबाद में रहते हैं. जब बुमराह 8 साल के थे तब उनके पिता जसवीर सिंह का निधन हो गया. उनके दादाजी संतोख सिंह बुमराह उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के रहने वाले थे और ऑटो चला कर जीवन यापन करते थे
कभी बुमराह के दादाजी संतोष सिंह बुमराह का गुजरात के अहमदाबाद में बटवा इंडस्ट्रियल स्टेट में तूती बोलती थी. वह महंगी कारों और हवाई जहाज में सफर करते थे. अहमदाबाद में उनकी जेके इंडस्ट्रीज, जेके मशीनरी इकोमेंट प्राइवेट लिमिटेड और जेके इकोमेंट नामक तीन बड़ी कंपनियां थी इसके अलावा उनकी दो सिस्टर कंसर्न गुरुनानक इंजीनियरिंग वर्क्स और अजीत फैब्रीकेटर भी थीं.
सारा कारोबार बुमराह के पिता संभालते थे. वर्ष 2001 में बुमराह के पिता व बेटे की बीमारी से मौत पर संतोख सिंह टूट गए और धीरे-धीरे फैक्ट्रियां भी आर्थिक संकट से घिर गई. जिसके बाद जसप्रीत बुमराह की मां पारिवारिक कलह की वजह से घर से अलग हो गई थीं.
दिसंबर 2017 में बुमराह के दादाजी 84 वर्षीय संतोख सिंह बुमराह का शव अहमदाबाद में साबरमती नदी के गांधी ब्रिज और दधीचि ब्रिज के बीच में बरामद किया गया था. संतोख सिंह उत्तराखंड से जसप्रीत से मिलने अहमदाबाद आए थे. अहमदाबाद में अपनी बेटी और जसप्रीत की बुआ रविंदर कौर के घर पर रुके थे.
बुमराह की बुआ का कहना था कि बुमराह की मां ने उनके पिता को अपने पोते से मिलने नहीं दिया. बुमराह की मां जिस स्कूल में पढ़ाती हैं वहां भी वह मुलाकात के लिए गए थे. बुमराह की मां किसी को भी उनसे मिलने नहीं देती थी. संतोख सिंह और बुमराह की मां की कथित तौर पर अनबन है जिसके चलते उन्हें बुमराह से मिलने नहीं दिया गया. जिस वक्त जसप्रीत बुमराह के दादाजी का शव मिला उस वक्त बुमराह भारतीय टीम की ओर से धर्मशाला में मैच खेल रहे थे.