मात्र 10 साल की उम्र में छोड़ा घर, सड़कों पर पिता के साथ बेचते थे गोलगप्पे, आज आईपीएल में कर रहे हैं सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

कुछ साल पहले तक मुंबई की व्यस्त सड़कों पर गुमनामी के अंधेरों में जिंदगी बिताने वाले आज भारतीय क्रिकेट में अपने प्रदर्शन से सभी को हैरान कर रहे हैं. उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में घरेलू क्रिकेट में दोहरा शतक लगाकर दुनिया के सबसे कम उम्र के दोहरा शतक लगाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं.

हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के भदोही जिला के रहने वाले यशस्वी जायसवाल की. यशस्वी जायसवाल आज जिस मुकाम पर पहुंचे हैं, वहां पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था. यूपी के भदोही से निकलकर मुंबई में भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों के बीच अपनी पहचान बनाने के लिए यशस्वी को कड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

यशस्वी को क्रिकेटर बनकर भारत के लिए खेलने के सपने के कारण उनके सामने कई चुनौतियां आई. लेकिन यशस्वी अपने सपने को लेकर अडिग रहे और अपना काम बखूबी करते रहे. यशस्वी के पिता उत्तर प्रदेश के भदोही में एक छोटी सी दुकान चलाते हैं. उनकी मां गृहणी है. यशस्वी अपने माता पिता के सबसे छोटे बेटे हैं. क्रिकेटर बनने के सपने को लेकर यशस्वी मात्र 10 साल के उम्र में मुंबई पहुंच गए. यशस्वी के पिता ने भी इस पर कोई आपत्ति नहीं उठाई क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी.


यशस्वी के एक रिश्तेदार संतोष का घर मुंबई के वर्ली में है, लेकिन उसमें इतना जगह नहीं है कि कोई अन्य व्यक्ति उसमें रह सके. मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के मैनेजर संतोष ने वहां के मालिक से कह कर यशस्वी के रुकने की व्यवस्था करवा दी. यशस्वी वहां पर ग्राउंड्समैन के साथ टेंट में रहने लगे. अपना पेट पालने के लिए यशस्वी आजाद मैदान में रामलीला के दौरान पानी पुरी (गोलगप्पे) और फल बेचने में मदद करते थे. ऐसे भी दिन यशस्वी के सामने आए जब उन्हें खाली पेट सोना पड़ता था. जिस ग्राउंड्समैन के साथ टेंट में रहते थे वह आपस में लड़ाई करके खाना नहीं बनाते थे.

शुरुआत में यशस्वी जायसवाल एक डेयरी में रहते थे. बाद में उनका सामान डेयरी से उठाकर फेंक दिया और उन्हें बाहर कर दिया गया.मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर और यशस्वी जायसवाल की मुलाकात राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी बेंगलुरु में हुई थी. राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी बंगलुरु में दोनों एक ही कमरे में रहते थे, जिसके कारण दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे.

2018 में अर्जुन तेंदुलकर यशस्वी को अपने घर ले गए और अपने पिता सचिन तेंदुलकर से मिलवाया. यशस्वी से मिलने के बाद सचिन तेंदुलकर यशस्वी के फैन हो गए. पहली ही मुलाकात में सचिन ने यशस्वी से प्रभावित होकर उपहार में उन्हें अपना बल्ला दे दिया.

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