टीम इंडिया में रवींद्र जडेजा की वजह से एक खिलाड़ी था जिसका करियर ज्यादा चल नहीं पाया ये खिलाड़ी एक समय टीम इंडिया का सबसे बड़ा हथियार था, लेकिन जब से महेंद्र सिंह धोनी टीम में जडेजा को लाए उनका करियर खत्म होता चला गया
टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए कोई भी खिलाड़ी को बहुत ज्यादा मेहनत और अच्छा परफॉर्मेंस करना पड़ता है। कई बेहतरीन खिलाड़ियों का करियर तो बाहर बेंच पर ही बैठे-बैठे कट जाता है। टीम में सेलेक्शन होना जितना मुश्किल माना जाता है, उससे कई गुना ज्यादा मुश्किल खुद को टीम इंडिया में जगह बनाए रखना होता है, क्योंकि टीम के बाहर भी कई ऐसे खिलाड़ी होते हैं, जो अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर बहुत ही अच्छा कॉम्पिटिशन देते हैं। लेकिन टीम इंडिया का एक खिलाड़ी तो ऐसा है जो लंबे समय तक टीम इंडिया का हथियार था, लेकिन वो कब टीम से बाहर हो गया किसी को पता भी नहीं चला।
इंडिया टीम के एक ऐसा गेंदबाज स्पिनर प्रज्ञान ओझा हैं, जिन्हें टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने के बावजूद टीम से ऐसा बाहर किया गया कि वो फिर कभी लौटकर ही नहीं आए. ये गेंदबाज कभी टीम इंडिया का सबसे बड़ा हथियार था और रविचंद्रन अश्विन के साथ उनकी जोड़ी हिट मानी जाती थी। इस खिलाड़ी को पहले महेंद्र सिंह धोनी अपनी कप्तानी में नजरअंदाज करते रहे, धोनी के बाद कप्तान बनने वाले विराट कोहली ने भी इस खिलाड़ी का हाल नहीं पूछा।
बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा को 33 साल की उम्र में ही मजबूरन संन्यास लेनी परी और इसकी सबसे बड़ी वजह रवींद्र जडेजा बने. प्रज्ञान ओझा ने 14 नवंबर 2013 को अपना लास्ट टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था, जो सचिन तेंदुलकर का इंटरनेशनल क्रिकेट से विदाई मैच भी था. मुंबई में खेले गए इस टेस्ट मैच में प्रज्ञान ने दोनों पारियों में 40 रन पर 5 विकेट और 49 रन पर 5 विकेट चटकाते हुए 89 रन देकर 10 विकेट लेने का बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया था
जिसके बाद ओझा के एक्शन पर सवाल उठा दिए गए. जिसके कारण उन्हें टीम इंडिया से बाहर निकलना पड़ा था इसके बाद उन्होंने एक्शन में सुधार के लिए जमकर मेहनत की और आईसीसी से क्लीन चिट भी हासिल कर ली, लेकिन तब तक तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रवींद्र जडेजा को टीम इंडिया में जगह पक्की कर दी थी इस कारण दोबारा ओझा की टीम में कभी वापसी नहीं हो पाई और मजबूर होकर उन्होंने संन्यास ले लिया
प्रज्ञान ओझा का जन्म उड़ीसा में 5 सितंबर 1986 को हुआ था जिनका लास्ट टेस्ट मैच बहुत ही ऐतिहासिक था। न केवल ओझा ने इस टेस्ट में 10 विकेट लेने का परफॉर्मेंस दिखाया था बल्कि यह महान भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के करियर का भी अंतिम टेस्ट था मुंबई में 14 नवंबर 2013 को शुरू हुए इस टेस्ट में प्रज्ञान की गेंदबाजी का कहर कैरेबियाई बल्लेबाजों पर इस इस प्रकार हुई थी कि 3 दिन में ही मैच खत्म हो गया। वह इस टेस्ट मैच में ‘मैन ऑफ द मैच’ भी चुने गए थे l प्रज्ञान का भारत की तरफ से वेस्टइंडीज के खिलाफ एक टेस्ट मैच में यह तीसरे नंबर का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन था l
प्रज्ञान ओझा ने अपना टी-20 इंटरनेशनल करियर 2009 टी20 वर्ल्ड कप में बांग्लादेश के खिलाफ मैच में किया था. इस मैच में ओझा ने 21 रन देकर 4 विकेट लिए थे और उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच’ चुना गया था। इसके बावजूद उनका टी20 इंटरनेशनल करियर 6 मैच में 10 विकेट तक ही सिमटकर रह गया. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कभी भी उनकी बॉलिंग में पूरा विश्वास नहीं दिखा पाए।