कहानी उस भारतीय क्रिकेटर की जिसने टूटे पांव के साथ मैदान पर उतरा

भारतीय क्रिकेट के इतिहास को देखा जाए तो उसमें बहुत से ऐसे खिलाड़ी हैं. जो जिस इज्जत, शोहरत और पहचान के हकदार थे उसे नहीं मिल पाया है. आज हम आपको ऐसे ही एक भारतीय क्रिकेटर की कहानी बताने जा रहे हैं. जिसने भारतीय क्रिकेट की सेवा तो बहुत कम की लेकिन जितनी भी की उतने समय में वह काफी हाईलाइट में रहे. हम बताने जा रहे हैं भारत के पूर्व लेफ्ट आर्म स्पिनर दिलीप दोशी की. जिसने 1981 में अपने टूटे पैर के साथ ऑस्ट्रेलिया में मैच खेला था और वह मैच भारत जीत गई थी.

1981 में भारत ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी. जहां पहला टेस्ट हारने के बाद भारतीय टीम काफी संघर्ष करती हुई नजर आ रही थी. पहला टेस्ट भारत पारी से हार गई थी. वही दूसरा टेस्ट ड्रॉ हो गया था. इसके बाद तीसरा टेस्ट मेलबर्न में खेला गया था. जिसमें भारत में धमाकेदार जीत दर्ज की थी और इस जीत के हीरो थे दिलीप दोशी.

मेलबर्न के टेस्ट मैच में गुंडप्पा विश्वनाथ ने सेंचुरी लगाया था. और उन्हें मैन ऑफ द मैच दिया गया था. लेकिन इस जीत के की कहानी लिखी थी लेफ्ट आर्म स्पिनर दिलीप दिलीप दोशी ने. लेकिन आज भी उस खिलाड़ी को उस जीत का क्रेडिट नहीं मिल पाया है. मेलबर्न में खेले गए इस टेस्ट मैच में दिलीप दोशी ने टूटे पैर के साथ मैदान पर उतरा था. जिसका खुलासा उसने कई सालों तक किया था. एक इंटरव्यू के दौरान दिलीप दोशी ने बताया था कि ‘उस मैच के दौरान मेरे पैर में फ्रैक्चर था और मैंने कहा कि वह मैच में खेलूंगा.

इस दौरान हर शाम मेरे पैर में इलेक्ट्रोड लगाकर झटके दिए जाते थे. जिससे दर्द तो काफी ज्यादा होता था. लेकिन फायदा यह था कि सूजन कम हो गया था. इस बात को बहुत कम लोग जानते थे कि मैंने ऐसा क्यों किया. मेरे हिसाब से मैंने वैसा इसलिए किया क्योंकि मुझे विश्वास था कि हम मैच जीतने वाले हैं’.

इस मैच में दिलीप दोशी ने पहली पारी में 3 और दूसरी पारी में 2 विकेट हासिल किए थे. दिलीप दोशी अपने 4 साल के क्रिकेट करियर में 33 टेस्ट और 15 एकदिवसीय मैच खेले. जिसमें उन्होंने 136 अंतरराष्ट्रीय विकेट हासिल की है. दिलीप दोशी 100 टेस्ट मैच खेलने की क्षमता रखते थे. लेकिन दुर्भाग्य की बात थी कि वह 70 के दशक में खेल रहे थे. उस समय भारतीय क्रिकेट में इरापल्ली प्रसन्ना, बिशन सिंह बेदी, भागवत चंद्रशेखर और वेंकटराघवन की चौकड़ी का बोलबाला था. लेकिन प्रशंसक आज भी दिलीप दोशी को नहीं भूले हैं.

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