भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली शुक्रवार 8 जुलाई को अपना 50वां जन्मदिवस मना रहे हैं. इस खास मौके पर भारतीय टीम के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने सौरभ गांगुली से जुड़ी पुरानी यादें ताजा की है.
भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली ने भारत के लिए कई मैच जिताऊ पारी खेली है. एकदिवसीय मैचों में पारी की शुरुआत करते हुए दोनों ने कई महत्वपूर्ण साझेदारी की है. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी दोनों की दोस्ती उतनी ही गहरी है.
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने सौरव गांगुली के 50वें जन्मदिवस से एक दिन पहले अपने ओपनिंग पार्टनर के साथ बिताई गई पुरानी यादों को ताजा किया है. सचिन तेंदुलकर ने पीटीआई से बातचीत करते हुए कहा है कि ‘सौरभ महान कप्तान थे. उसे पता था कि टीम का संतुलन कैसे बनाना है. खिलाड़ियों को कितनी जिम्मेदारी और कितनी आजादी देनी है. जब उन्होंने भारतीय टीम की कमान संभाली तब भारतीय क्रिकेट बदलाव के दौर से गुजर रहा था. हमें ऐसे खिलाड़ियों की जरूरत थी जो क्रिकेट को आगे ले जा सके’.
सचिन तेंदुलकर ने बताया कि ‘उस समय हमें वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान, हरभजन सिंह और आशीष नेहरा जैसे विश्व स्तरीय खिलाड़ी थे. यह सभी बेहद प्रतिभाशाली थे. लेकिन इन्हें अपने कैरियर की शुरुआत में सहयोग की जरूरत थी, जो सौरव ने उन्हें दिया. उन्हें अपने हिसाब से खेलने की आजादी भी मिली थी’.
तेंदुलकर ने बताया कि 1999 में आस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने तय कर लिया था कि उनके बाद अगला कप्तान कौन होगा. उन्होंने कहा कि ‘कप्तानी छोड़ने से पहले भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मैंने सौरव को भारतीय टीम का उप कप्तान बनाने का सुझाव दिया था. मैंने उसे काफी करीब से देखा था और उसके साथ काफी क्रिकेट खेला था. मुझे पता था कि वह भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने में सक्षम है. इसके बाद सौरभ ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और उसकी उपलब्धियां हमारे सामने है’.
सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की जोड़ी ने 176 बार पारी की शुरुआत करते हुए 26 बार शतकीय साझेदारी की थी. सचिन तेंदुलकर ने इस संबंध में बातचीत करते हुए बताया कि ‘सौरभ और मैंने हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की है, ताकि टीम मैच जीत सके. इसके आगे हमने कभी भी कुछ नहीं सोचा’. सौरभ गांगुली ने पहली बार 1992 में भारत के लिए खेला था. इसके बाद दोबारा 1996 में वापसी की थी.
सचिन तेंदुलकर ने बताया कि ‘1991 के दौरे पर हम एक साथ एक ही कमरे में रहते थे और इस दौरान एक दूसरे के साथ खूब मस्ती करते रहते थे. हम अंडर-15 के दिनों से एक दूसरे को जानते थे. जिससे हमारा आपसी तालमेल काफी अच्छा था. उसके बाद भी हम मिले, लेकिन उस समय मोबाइल फोन नहीं था. जिसके कारण हम लगातार संपर्क में नहीं रह सके, लेकिन दोस्ती कायम थी’.