भारत के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को जब पूछा गया कि विराट कोहली को अपने खराब दाैर और हाल में हुई आलोचनाओं से कैसे निपटना चाहिए और उसे कैसे जवाब देना चाहिए तो इस पर सहवाग ने एक दिलचस्प कहानी सुनाई है.
सहवाग ने बताया है कि वह भी अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दौरान कठिन दौर से गुजरे हैं. जब नेगेटिव चीजों ने उनके दिमाग को जाम कर दिया था. सहवाग ने कहा कि साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया में कॉमनवेल्थ बांका त्रिकोणीय सीरीज के दौरान कप्तान एम एस धोनी द्वारा प्लेइंग इलेवन से बाहर किए जाने के बाद एकदिवसीय क्रिकेट से सन्यास लेने का निर्णय कर लिया था. लेकिन सचिन तेंदुलकर द्वारा रोके जाने के बाद मैंने अपना इरादा बदल लिया था.
ऑस्ट्रेलिया में खेले त्रिकोणीय सीरीज के पहले चार मैचों में एक भी अर्धशतक नहीं लगा पाने के चलते वीरेंद्र सहवाग को प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया था. महेंद्र सिंह धोनी ने रोहित शर्मा, गौतम गंभीर और रोबिन उथप्पा के साथ शीर्ष और मध्य क्रम में बल्लेबाजी करने के लिए जाना पसंद किया था. वहीं युवराज सिंह को फिनिशर के तौर पर रखा था.
वीरेंद्र सहवाग ने सचिन तेंदुलकर की सलाह मानते हुए भारत वापस लौट आए और लंबे समय तक इस पर विचार किया. इसके बाद सहवाग ने भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज और चयनकर्ताओं के अध्यक्ष कृष्णमाचारी श्रीकांत से इस संबंध में बातचीत की. इसके बाद श्रीकांत ने धोनी से बात की और कप्तान ने आश्वासन दिया कि अगले एशिया कप में सभी मैच खेलेंगे.
सहवाग ने क्रिकबज शो ‘मैच पार्टी’ के दौरान कहा, “समय बदला. चयनकर्ताओं के अध्यक्ष केके श्रीकांत ने मुझसे पूछा ‘आप क्या करना चाहते हैं?’ मैंने कहा ‘अच्छी लय में होने के बावजूद टीम में मेरे लिए कोई जगह नहीं थी तो मैं क्या करता’. मुझे तभी चुनें जब आपको लगे कि मैं सभी मैच खेलूंगा, नहीं तो नहीं. तब श्रीकांत ने एशिया कप से पहले धोनी से इस संबंध में बात की. धोनी ने कहा ‘वीरू पा तुम खेलोगे’. उसके बाद मैंने बहुत क्रिकेट खेला लेकिन मैंने इसे किसी के साथ साझा नहीं किया क्योंकि मुझे पता था कि मुझे क्या करना है.”
सहवाग ने एशिया कप में दो अर्द्धशतक और एक शतक लगाया. लेकिन एशिया कप जीत नहीं पाए. फाइनल मुकाबले में भारत को श्रीलंका से हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद सहवाग ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. सहवाग को उम्मीद है कि विराट कोहली संयम से काम लेंगे और जल्दी बाजी में कोई फैसला नहीं करेंगे. आलोचनाओं का अलग तरह से जवाब दिया जाता है. सहवाग ने कहा है कि कुछ खिलाड़ी आलोचना को भी सकारात्मक तरीके से लेते हैं तो वहीं कुछ खिलाड़ी आलोचना को दिल से लगा लेते हैं और गलत फैसला कर बैठते हैं.
कुछ खिलाड़ी अपने कानों को बंद कर लेते हैं तो वहीं कुछ सामने जवाब देते हैं. हर चीज को संभालने का अपना अलग तरीका होता है. विराट कोहली मैदान पर काफी आक्रामक और प्रतिक्रियाशील देखते हैं. इस पर आरसीबी के कप्तान फाफ डु प्लेसिस ने कहा कि वह भी विराट कोहली की तरह प्रतिक्रिया करने की कोशिश करते हैं. क्योंकि इससे कोहली जैसे किसी व्यक्ति को बेहतर प्रदर्शन करने की ऊर्जा मिलती है.